ज़रूर, मैं आपके लिए यूके नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर के ब्लॉग पोस्ट “टेलिंग यूजर्स टू अवॉइड क्लिकिंग बैड लिंक्स स्टिल इजन्ट वर्किंग” के बारे में एक विस्तृत लेख लिख सकता हूँ, जो 13 मार्च, 2025 को प्रकाशित हुआ था।
शीर्षक: यूजर्स को ‘खराब लिंक पर क्लिक करने से बचें’ बताने के बाद भी कुछ क्यों नहीं बदल रहा है: यूके एनसीएससी की जांच
परिचय:
यूके नेशनल साइबर सिक्योरिटी सेंटर (एनसीएससी) साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में एक अग्रणी प्राधिकारी है, जो लगातार खतरों का मूल्यांकन करता है और संगठनों और व्यक्तियों को सुरक्षित रहने में मदद करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है। 13 मार्च, 2025 को प्रकाशित एक हालिया ब्लॉग पोस्ट में, एनसीएससी ने स्वीकार किया कि वर्षों से की गई जागरूकता प्रयासों के बावजूद, यूजर्स का हानिकारक लिंक पर क्लिक करना एक स्थायी समस्या बनी हुई है। यह लेख एनसीएससी के निष्कर्षों पर प्रकाश डालता है, इस समस्या के मूल कारणों का पता लगाता है और भविष्य के लिए संभावित समाधानों का सुझाव देता है।
समस्या की पहचान:
एनसीएससी के ब्लॉग पोस्ट ने जागरूकता अभियानों की लंबी विफलता को उजागर किया, जिनका उद्देश्य यूजर्स को फ़िशिंग हमलों और अन्य साइबर खतरों में शामिल होने से रोकना है जो दुर्भावनापूर्ण लिंक पर क्लिक करने पर निर्भर करते हैं। क्लासिक दृष्टिकोण, “संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें”, पर्याप्त प्रभाव पैदा करने में विफल रहा है। इस निरंतर मुद्दा ने एनसीएससी को सुरक्षा परिदृश्य की गहरी समझ हासिल करने के लिए स्थिति का अधिक विस्तृत विश्लेषण करने के लिए प्रेरित किया।
समस्या के लिए जिम्मेदार कारक:
एनसीएससी ने कई कारणों की पहचान की है कि लिंक पर क्लिक करने से बचने के लिए पारंपरिक सलाह क्यों विफल रही है:
- फ़िशिंग तकनीकों का परिष्कार: हमलावर तेजी से आश्वस्त ईमेल, संदेश और वेबसाइटें बनाने में माहिर हो गए हैं जो वैध लोगों की नकल करते हैं। यह परिष्कार यूजर्स के लिए दुर्भावनापूर्ण और वैध लिंक के बीच अंतर बताना बहुत चुनौतीपूर्ण बनाता है, खासकर तनाव या समय के दबाव में।
- मानव मनोविज्ञान: एनसीएससी ने माना कि मानव मनोविज्ञान साइबर सुरक्षा कमजोरियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सामाजिक इंजीनियरिंग की रणनीति, जैसे कि तात्कालिकता, भय या विश्वास का प्रयोग करने से यूजर्स के निर्णय लेने की क्षमता में बाधा आ सकती है, जिससे उनके दुर्भावनापूर्ण लिंक पर क्लिक करने की अधिक संभावना होती है।
- पर्याप्त जागरूकता की कमी: भले ही कई यूजर्स साइबर खतरों के बारे में सामान्य जागरूकता होने का दावा करते हैं, लेकिन उनमें अक्सर इस मुद्दे की गहराई की समझ की कमी होती है। वे फ़िशिंग हमलों के लाल झंडों को पहचानने में सक्षम नहीं हो सकते हैं, या उनके द्वारा अपनी व्यक्तिगत जानकारी प्रकट करने के परिणामों को पूरी तरह से समझ नहीं सकते हैं।
- सुरक्षा उपायों का महत्व: कई यूजर्स को सुरक्षा उपायों को सक्रिय रूप से भाग लेने के बजाय अपने आईटी विभाग पर निर्भर रहने की झूठी भावना हो सकती है। यह मानसिकता उन्हें खतरे की पहचान में सतर्क होने से रोक सकती है।
- विभिन्न डिवाइस और प्लेटफॉर्म: ईमेल लिंक से लेकर सोशल मीडिया पोस्ट और टेक्स्ट संदेशों तक, यूजर्स को दुर्भावनापूर्ण लिंक का सामना करने के तरीकों और स्थानों की संख्या काफी बढ़ गई है। हर प्लेटफॉर्म पर अनुरूप जागरूकता और मार्गदर्शन की यह बढ़ती विविधता को संबोधित करना मुश्किल है।
आगे की राह: समाधान के लिए नए दृष्टिकोण:
क्लिक करने के लिए नहीं कहने की असफल रणनीति को पहचानते हुए, एनसीएससी ने विभिन्न नवाचार रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया:
- प्रौद्योगिकी समाधान: एनसीएससी ने संदिग्ध लिंक का पता लगाने और ब्लॉक करने, खतरे की खुफिया जानकारी बढ़ाने और स्वचालित फ़िशिंग सिमुलेशन का उपयोग करने जैसे तकनीकी सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। ईमेल प्रदाताओं, वेब ब्राउज़र और सुरक्षा सॉफ़्टवेयर को दुर्भावनापूर्ण लिंक को फ़िल्टर करने और उनके बारे में यूजर्स को चेतावनी देने के लिए बेहतर सुरक्षा सुविधाओं को एकीकृत करना चाहिए।
- अनुकूलित प्रशिक्षण: जागरूकता अभियानों को हर किसी के लिए एक-आकार-फिट-बैठने वाले दृष्टिकोण से दूर होना चाहिए। प्रशिक्षण कार्यक्रमों को विशिष्ट भूमिकाओं, जिम्मेदारियों और संभावित जोखिमों के अनुरूप बनाया जाना चाहिए। सिमुलेटेड फ़िशिंग अभ्यास और इंटरैक्टिव मॉड्यूल यूजर्स को एक सुरक्षित वातावरण में अपनी क्षमता का परीक्षण करने और सुधारने में मदद कर सकते हैं।
- व्यवहार संबंधी अंतर्दृष्टि: साइबर सुरक्षा जागरूकता को डिजाइन करने में व्यवहार संबंधी अर्थशास्त्र और मनोविज्ञान को शामिल करने से सकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। उदाहरण के लिए, यूजर्स को तुरंत किसी लिंक पर क्लिक करने से पहले रुकने और सोचने के लिए प्रेरित करने से आवेगपूर्ण निर्णयों को कम किया जा सकता है।
- रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करना: एनसीएससी ने संदिग्ध ईमेल और लिंक की रिपोर्टिंग को सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए एक मजबूत संस्कृति बनाने का आह्वान किया। संगठनों को उपयोगकर्ताओं के लिए बिना किसी डर के संभावित खतरे की रिपोर्ट करने के लिए स्पष्ट चैनल और प्रोत्साहन स्थापित करने चाहिए।
- सहयोग और सूचना साझा करना: एनसीएससी ने साइबर खतरों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए संगठनों, सरकारों और सुरक्षा विक्रेताओं के बीच बेहतर सहयोग का आह्वान किया। खतरे की खुफिया जानकारी को साझा करने से सभी को नवीनतम फ़िशिंग तकनीकों और कमजोरियों के बारे में सूचित रहने में मदद मिल सकती है।
निष्कर्ष:
एनसीएससी का ब्लॉग पोस्ट “टेलिंग यूजर्स टू अवॉइड क्लिकिंग बैड लिंक्स स्टिल इजन्ट वर्किंग” साइबर सुरक्षा जागरूकता के मुद्दे को संबोधित करने के लिए एक महत्वपूर्ण वेक-अप कॉल है। समस्या की जटिलताओं और कारणों को समझकर, संगठन अधिक प्रभावी रणनीतियों को लागू करना शुरू कर सकते हैं। प्रौद्योगिकी समाधान, व्यक्तिगत प्रशिक्षण, व्यवहार संबंधी अंतर्दृष्टि और एक रिपोर्टिंग संस्कृति के संयोजन से, संगठनों को फ़िशिंग हमलों के खतरों को कम करने और अपने महत्वपूर्ण डेटा और सिस्टम की रक्षा करने की बेहतर उम्मीद हो सकती है। क्योंकि साइबर खतरे विकसित होते रहते हैं, साइबर सुरक्षा शिक्षा और रोकथाम के दृष्टिकोण में निरंतर नवाचार और अनुकूलन आवश्यक है।
उपयोगकर्ताओं को यह बताना कि ‘खराब लिंक पर क्लिक करने से बचें’ अभी भी काम नहीं कर रहा है
एआई ने समाचार प्रस्तुत किया।
Google Gemini से उत्तर प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित प्रश्न का उपयोग किया गया था:
2025-03-13 11:22 पर, ‘उपयोगकर्ताओं को यह बताना कि ‘खराब लिंक पर क्लिक करने से बचें’ अभी भी काम नहीं कर रहा है’ UK National Cyber Security Centre के अनुसार प्रकाशित किया गया था। कृपया इससे संबंधित जानकारी के साथ एक विस्तृत लेख लिखें।
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