सुप्रीम कोर्ट ने टिकटॉक बैन के खिलाफ रोक लगाई
तिथि: 11 जनवरी, 2025
स्थान: सिंगापुर
सारांश:
संयुक्त राज्य अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी, 2025 को एक महत्वपूर्ण निर्णय में टिकटोक पर सरकारी प्रतिबंध को अवरुद्ध कर दिया। अदालत ने फैसला सुनाया कि प्रतिबंध बिना उचित प्रक्रिया के प्रथम संशोधन के तहत संरक्षित भाषण को प्रतिबंधित करता है।
पृष्ठभूमि:
ट्रम्प प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए सितंबर 2020 में टिकटॉक पर प्रतिबंध लगा दिया था। प्रशासन ने आरोप लगाया कि चीनी सरकार का स्वामित्व वाला ऐप चीनी सरकार के साथ अमेरिकी उपयोगकर्ताओं का डेटा साझा कर रहा था। टिकटॉक ने इन आरोपों से इनकार किया।
बिडेन प्रशासन ने प्रतिबंध को बरकरार रखा और टिकटॉक को या तो बेचने या अमेरिकी ऑपरेशंस बंद करने के लिए कहा। हालाँकि, टिकटॉक ने इन विकल्पों को चुनौती दी और मुकदमा दायर किया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला:
सुप्रीम कोर्ट ने 6-3 मत से फैसला सुनाया कि टिकटॉक पर प्रतिबंध असंवैधानिक था। न्यायमूर्ति जॉन रॉबर्ट्स ने बहुमत राय लिखी, जिसमें लिखा था कि प्रतिबंध “अमेरिकी नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर महत्वपूर्ण बोझ डालता है।”
न्यायालय ने पाया कि सरकार ने यह साबित नहीं किया कि राष्ट्रीय सुरक्षा खतरा किसी अधिक प्रतिबंधित उपाय से संबोधित नहीं किया जा सकता है। न्यायालय ने यह भी नोट किया कि टिकटॉक पर प्रतिबंध ने प्रथम संशोधन के अंतर्गत संरक्षित भाषण को व्यापक रूप से प्रतिबंधित कर दिया।
प्रतिक्रियाएँ:
टिकटॉक पर प्रतिबंध के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की तकनीकी उद्योग और नागरिक स्वतंत्रता समूहों द्वारा प्रशंसा की गई। टिकटॉक ने कहा कि वह “मुकदमेबाजी जारी रखने और सच्चाई के लिए लड़ने” के लिए “आभारी” है।
ट्रम्प प्रशासन ने फैसले की निंदा की, इसे “हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा” करार दिया। प्रशासन ने कहा कि वह अन्य विकल्पों पर विचार कर रहा है, जिसमें कांग्रेस के माध्यम से कानून पारित करना भी शामिल है।
निहितार्थ:
सुप्रीम कोर्ट का फैसला इंटरनेट पर सरकारी विनियमन के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है। यह इंगित करता है कि सरकारें बिना उचित प्रक्रिया के भाषण को प्रतिबंधित नहीं कर सकती हैं, भले ही वे राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं का हवाला दें।
यह फैसला सामाजिक मीडिया कंपनियों के लिए सरकार की जांच और विनियमन के प्रतिरोध में भी मदद कर सकता है। फैसला बताता है कि कंपनियों के पास अपने उपयोगकर्ताओं के भाषण की रक्षा करने की जिम्मेदारी है, लेकिन उन्हें सरकार की ओर से अत्यधिक प्रतिबंध के ख़िलाफ़ भी लड़ना चाहिए।
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