दिल्ली हाई कोर्ट ने ड्रग्स मामले में 22 साल की सजा सुनाई
7 जनवरी, 2025 | नई दिल्ली
दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अभूतपूर्व मामले में, नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम के तहत एक महिला को 22 साल की सजा सुनाई है। महिला पर 10 किलोग्राम हेरोइन की तस्करी और व्यापार का आरोप था।
पृष्ठभूमि
मामला 2020 का है, जब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने दिल्ली के एक गोदाम से हेरोइन की बड़ी खेप जब्त की थी। जांच के दौरान, एनसीबी ने महिला को गिरफ्तार किया, जिसे कथित तौर पर हेरोइन की तस्करी और व्यापार के लिए जिम्मेदार पाया गया।
अदालत की कार्यवाही
महिला के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में मुकदमा चलाया गया। अभियोजन पक्ष ने गवाहों, दस्तावेजी सबूतों और जब्त हेरोइन की मात्रा को साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया। बचाव पक्ष ने आरोपों से इनकार किया और दावा किया कि महिला को फंसाया जा रहा है।
न्यायालय का फैसला
सबूतों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण करने के बाद, न्यायमूर्ति ने महिला को नारकोटिक ड्रग्स और साइकोट्रोपिक पदार्थ अधिनियम, 1985 की धाराओं 21, 22 और 27 के तहत दोषी ठहराया। न्यायालय ने इस मामले में महिला की भूमिका को गंभीर माना और उसे 22 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई।
प्रभाव
दिल्ली हाई कोर्ट का फैसला ड्रग तस्करी और व्यापार के खिलाफ अभियान में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह फैसला ऐसे व्यक्तियों के लिए एक कड़ा संदेश है जो इस तरह की अवैध गतिविधियों में शामिल हैं।
सार्वजनिक प्रतिक्रिया
फैसले पर जनता की ओर से मिश्रित प्रतिक्रिया मिली है। कुछ लोग सजा की कठोरता की सराहना करते हैं, जबकि अन्य का मानना है कि यह अत्यधिक है। हालाँकि, यह स्पष्ट है कि इस फैसले का ड्रग तस्करी और व्यापार से निपटने पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा।
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