गुरु घासीदास जयंती 2024: जयंती, महत्व और समारोह
गुरु घासीदास जयंती भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में 18 दिसंबर, 2024 को मनाई जाएगी। यह सतनामी पंथ के संस्थापक, गुरु घासीदास की जयंती है।
गुरु घासीदास के बारे में
गुरु घासीदास का जन्म 18 दिसंबर, 1756 को वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य के राजिम में हुआ था। वह एक चर्मकार समुदाय से थे, जो पारंपरिक रूप से चमड़े का काम करते हैं। गुरु घासीदास को बचपन से ही आध्यात्मिकता में गहरी दिलचस्पी थी। अपनी युवावस्था में, उन्होंने कई तीर्थ यात्राएँ कीं और विभिन्न संतों और गुरुओं से मिले।
सतनामी पंथ की स्थापना
1771 में, गुरु घासीदास को एक रहस्यमय अनुभव हुआ जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सतनामी पंथ की स्थापना करने के लिए कहा गया। सतनामी पंथ हिंदू धर्म से प्रभावित एक एकेश्वरवादी धर्म है। यह मानती है कि सतनाम एक है और किसी भी रूप या जाति के भेद से ऊपर है।
समाज सुधारक के रूप में गुरु घासीदास
गुरु घासीदास न केवल एक धार्मिक गुरु थे, बल्कि एक सामाजिक सुधारक भी थे। उन्होंने जाति व्यवस्था और उस समय प्रचलित सामाजिक बुराइयों के खिलाफ बात की। गुरु घासीदास ने अपने अनुयायियों को शिक्षा और आत्मनिर्भरता का महत्व सिखाया।
जयंती समारोह
गुरु घासीदास जयंती को छत्तीसगढ़ राज्य में एक सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, गुरु घासीदास के मंदिरों में विशेष प्रार्थना और अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। लोग गुरु घासीदास के जीवन और शिक्षाओं को याद करते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
राजिम में गुरु घासीदास के मुख्य मंदिर में, भव्य जयंती समारोह आयोजित किए जाते हैं। इनमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन कीर्तन और गुरु घासीदास के जीवन और संदेश पर प्रवचन शामिल हैं।
गुरु घासीदास जयंती का उत्सव न केवल एक धार्मिक अवसर है, बल्कि यह सामाजिक सद्भाव और समानता को बढ़ावा देने का भी एक समय है। यह गुरु घासीदास की शिक्षाओं को याद करने और समाज में उनके योगदान की सराहना करने का एक अवसर है।
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