तमिलनाडु के थोल थिरुमावलवन ने मंदिरों में अछूतों के प्रवेश के समर्थन में बयान दिया
7 दिसंबर, 2024 को, विदुथलाई चिरुथाइगल काची (VCK) के नेता थोल थिरुमावलवन ने तमिलनाडु के मंदिरों में अछूतों के प्रवेश के समर्थन में एक बयान जारी किया।
बयान का सारांश:
थिरुमावलवन ने कहा कि सभी जातियों और धर्मों के लोगों को मंदिरों में प्रवेश की अनुमति दी जानी चाहिए, चाहे उनकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो। उन्होंने अस्पृश्यता को “एक अमानवीय प्रथा” कहा जो “समाज में असमानता को कायम करती है”।
उन्होंने तर्क दिया कि मंदिरों को सभी के लिए खुला होना चाहिए, चाहे उनकी जाति या स्थिति कुछ भी हो। उन्होंने कहा कि मंदिर “आध्यात्मिकता और सामाजिक न्याय के केंद्र” होने चाहिए, जहां हर कोई बिना किसी भेदभाव के प्रार्थना कर सकता है।
प्रासंगिक जानकारी:
- तमिलनाडु में अस्पृश्यता एक गहरी जड़ें जमाए हुए समस्या रही है, जहां अछूतों को अक्सर सार्वजनिक स्थानों और संस्थानों तक पहुंच से वंचित रखा जाता है।
- 1950 के दशक में तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री सी.एन. अन्नादुराई ने मंदिरों में अछूतों के प्रवेश के लिए एक कानून पारित किया था। हालाँकि, यह कानून व्यापक रूप से लागू नहीं किया गया है।
- हाल के वर्षों में, अछूतों के मंदिरों में प्रवेश के अधिकार के लिए कई अभियान चलाए गए हैं।
प्रतिक्रिया:
थिरुमावलवन के बयान की मिश्रित प्रतिक्रिया हुई है। कुछ लोगों ने समाज में समानता को बढ़ावा देने के लिए उनके साहस और प्रतिबद्धता की सराहना की है। अन्य लोग उनकी टिप्पणियों से असहमत हैं, यह तर्क देते हुए कि मंदिर पारंपरिक रूप से कुछ जातियों के लिए आरक्षित हैं।
इस मुद्दे पर बहस आने वाले समय में भी जारी रहने की संभावना है, क्योंकि तमिलनाडु समाज में जाति और धर्म की भूमिका पर पुनर्विचार कर रहा है।
एआई ने खबर दी है।
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